प्रेगनेंसी

प्रेगनेंसी में बवासीर या पाइल्स से कैसे राहत पाएं

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प्रेगनेंसी में बवासीर, पाइल्स या फिर हेमरॉयड्स 

प्रेगनेंसी के दौरान वैसे तो गर्भवती महिलाओं को छोटीमोटी समस्याएं लगी रहती हैं खासतौर पे प्रेगनेंसी के पहले तिमाही में, लेकिन जैसेजैसे आपकी प्रेगनेंसी बढ़ती है आपको एक और दिक्कत का सामना भी करना पड़ सकता है. खासतौर पे प्रेगनेंसी के तीसरे तिमाही में लगभग एक तिहाई महिलाएं ऐसी होती है  जिन्हें इस दौरान बवासीर जिसे कि पाइल्स या फिर हेमरॉयड्स भी कहा जाता है इसकी संभावनाएं गर्भवती महिलाओं में आगे चल के बन जाती है। 

जिन महिलाओं को प्रेगनेंसी के पहले बवासीर की परेशानी रहती है, इस दौरान यानी कि प्रेगनेंसी के चलते उन्हें ये समस्या और भी ज्यादा बढ़ सकती है। तो प्रेगनेंसी के दौरान अगर आपको भी इस तरीके की समस्या हो रही है तो इसके कारण जानने आपको बहुत ज्यादा जरूरी है। 

अगर आप चाहते हैं कि प्रेगनेंसी के दौरान आपको इस तरीके की कोई भी दिक्कत ना हो या फिर अगर आपको हो भी रही है तो इससे निपटारा कैसे हो। इसके लिए दोस्तों आप हमारा ये लेख पूरा पढ़िए ताकि आपको काफी ज्यादा राहत मिले। 

प्रेगनेंसी के दौरान बवासीर होने के कुछ खास कारण 

रक्त वाहिकाएं पर गर्भाशय का दबाव 

 प्रेगनेंसी के सत्रह से ले के अठारहवें हफ्ते में जब आपका गर्भस्थ शिशु बड़ा होने लगता है तो आपका यूट्रस का साइज भी बड़ा होने लगता है। ये बढ़ा हुआ यूट्रस आपके निचले हिस्से में हल्का दबाव देने लग जाता है जिस वजह से क्या होता है कि जो रक्त वाहिकाएं होती है उनमें भी प्रेशर पड़ता है जिस वजह से रक्त का प्रवाह बढ़ जाता है और ये परेशानी खड़ी हो जाती है।

रक्त की गति तेज होना 

प्रेगनेंसी के दौरान शरीर में रक्त अधिक तेजी से संचरित होता है और ठीक इसी दौरान जो प्रोजेस्टोरोन हार्मोन होते हैं वो जो है वो तेजी से बढ़ने लगते हैं उनका स्तर बढ़ता है, जो कि इस दौरान रक्त वाहिकाओं की दीवारों को शिथिल बनाता है और गर्भ में बढ़ते हुए शिशु के वजन की वजह से इन भरी हुई नसों में दबाव पड़ता है जिस वजह से महिलाओं को सूजन और खिंचाव भी लगातार बना रहता है। ठीक ऐसे में बवासीर की समस्या में महिलाओं में शुरू हो जाती है और इतना ही नहीं कहीं ना कहीं बवासीर होने का खतरा भी गर्भवती महिलाओं में बन जाता है। 

कब्ज एक बड़ा कारण 

प्रेगनेंसी के दौरान कब्ज होना बहुत ज्यादा आम होता है। लगभग एक तिहाई महिलाओं को प्रेगनेंसी के दौरान कब्ज़ की समस्या बन जाती है। तो ऐसे में आप कठोर मल त्याग करती है, इस कठोर मल त्याग को करने के लिए जो जोर लगाना पड़ता है। इस वजह से कई बार महिलाओं को बवासीर की समस्या पैदा हो जाती है। 

इससे बचाव के कुछ प्रभावी उपाय 

पानी ज्यादा पियें और फाइबर युक्त खाना खाएं 

सबसे पहली बात जैसा मैंने आपको बताया कि कब्ज की वजह से कई बार ये बवासीर की समस्या बन जाती है, तो आपको इस दौरान अधिक से अधिक पानी पीना है 10 से 12 बारह गिलास पानी पिए। फाइबर डाइट आपको लेनी है यानी कि फाइबर फूड्स  और फ्रूट्स आपको लेने हैं। ये आपको कब्ज़ की समस्या को नहीं होने देता है। 

मल के दबाव को अधिक समय के लिए न रोकें 

दूसरा इस चीज का ध्यान रखें जब भी आपको मल त्याग की इच्छा हो तो इस दौरान आपको बिल्कुल वेट नहीं करना है तुरंत मल त्याग के लिए जाना है। ज्यादा देर के लिए आप इस दौरान शौचालय में ना बैठे क्योंकि इससे आपके श्रोणि क्षेत्र में दबाव पड़ता है। इसके अलावा ध्यान रहे अधिक जोर से आप मल त्याग ना करें धीरेधीरे आपको इस दौरान मल त्याग है।

व्यायाम करें या पैदल चलें  

तीसरी बात दोस्तों इस दौरान आपको कीगल एक्सेसर्साइज़ जरूर करनी चाहिए कीगल एक्सेसर्साइज़ अगर आप करती है तो इससे आपके पेल्विक क्षेत्र में रक्त संचरण अच्छा होता है यहाँ की जो माँसपेशियाँ मजबूत होती है और योनि और मूत्र मार्ग के आसपास की माँसपेशियाँ भी इस दौरान मजबूत होती है। 

मालिश करें 

इसके अलावा एक काम आप और कर सकते है आपका योनि क्षेत्र होता है गुदा क्षेत्र होता है उसके बीच का जो पेरेनियम वाला जो क्षेत्र होता है इस दौरान आप अपनी ऊँगली से इसे दबाकर हल्की फुल्की मालिश करिए, इससे उत्तेजित होकर एक स्वाभाविक प्रक्रिया होती है जिससे कि आपका मल आसानी से निकलने लगता है तो ये काम आप कर सकते हैं। 

शौच करते हुए उकड़ू पोजीशन में बैठना

जब भी आप शौचालय में हो तो आपको इस दौरान शौच करते हुए उकड़ू पोजीशन में बैठना चाहिए ऐसे में आपके पेल्विक क्षेत्र की जो माँसपेशियाँ होती हैं और रक्त वाहिकाएँ होती हैं उनमें कम दबाव पड़ता है और ज्यादा देर तक जोर लगाने की आवश्य्कता नहीं होती , और आसानी से मल त्याग हो जाता है, तो भारत के शौचालय इसमें बहुत अच्छे काम करते हैं आप भारतीय यानी कि इंडियन टॉयलेट को इस दौरान उपयोग में लाइए। भारतीय टॉयलेट्स अगर आपके घर में नहीं है और अगर आप वेस्टर्न टॉयलेट का यूज़  कर रहे हैं तो उसमें भी ध्यान रखिए कि अपने आगे एक स्टूल लगा लीजिए और उसमें अपने पैरों को रख लीजिए जिससे कि आपके पेल्विक क्षेत्र में ज्यादा दबाव भी ना पड़े और आसानी से आपका मल त्याग हो जाए।

सोते समय यह गलती न करें 

जब भी आप सो रहे हो तो आपको करवट लेकर सोना है, दाईं या फिर बायीं करवट लेकर सोइए। ध्यान रखिए कि पीठ के बल आपको पाइल्स के दौरान कभी नहीं सोना है। वैसे भी प्रेगनेंसी के दौरान पीठ के बल नहीं सोना चाहिए। तो पाइल्स अगर आपको है तो खास तौर पे इस चीज का अच्छे से ध्यान रखिए, भले ही आप लेट ही क्यों ना रहे हो, तो लेटते हुए भी आपको इस दौरान ध्यान रखना है। 

लंबे समय तक एक ही स्थिति में न रहें

इस बात का ध्यान रखना जरूरी होगा कि इस दौरान आपको कहीं भी ज्यादा देर तक बैठना नहीं है, एक जगह पर ज्यादा देर तक खड़े नहीं रहना है। जब आप एक ही जगह पर ज्यादा देर तक बैठे रहते हैं, चाहे ऑफिस हो, घर हो या किचन में खाना बना रहे हों, क्योंकि ऐसी स्थिति में आपके पेल्विक एरिया में प्रेशर होता है। इसलिए जब भी आप अपनी पोजीशन बदलते हैं, बैठते हैं, बैठते हैं, चलते हैं, तो ऐसी स्थिति में इस क्षेत्र की रक्त वाहिकाएं सक्रिय हो जाती हैं, रक्त का प्रभाव बढ़ जाता है, जिससे आपको उस दौरान बवासीर की समस्या हो जाएगी। कम से कम आपको यह काम तो करना ही होगा।

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