गर्भ में शिशु पूरे 9 महीने कैसे सांस लेता है | OXYGEN Supply to Baby In Womb
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गर्भ में शिशु का विकास चरणबद्ध तरीके से होता है। हर महीने गर्भ में शिशु का कुछ न कुछ विकास होता रहता है और इसी तरीके से 9 महीने तक गर्भ में शिशु का पूर्ण विकास हो जाता है।गर्भ में शिशु को विकसित होने के लिए उसको शुरुआती दौर से ही ऑक्सीजन की बहुत ज्यादा जरूरत होती है।
पूरे नौ महीने जब तक बच्चा अपनी मां के गर्भ में होता है तब तक वह सांस नहीं लेता है। जन्म लेने के ठीक बाद ही बच्चा सांस लेना शुरू करता है और सांस लेना सीखता है। तो इसका मतलब हुआ कि बच्चा गर्भ में सांस नहीं लेता है, लेकिन अगर गर्भ में शिशु सांस नहीं लेता है तो वह गर्भ में जीवित कैसे रहता है, उसका विकास कैसे होता है उसे ऑक्सीज़न कहाँ से मिलती है। यह सवाल अपने आप में काफी ज्यादा अचरज भरा है।
फेफड़ों का विकसित होना
आपको बता दें कि पूरी प्रेगनेंसी के दौरान गर्भ में शिशु के फेफड़े विकसित हो रहे होते हैं, उनका विकास लगातार होना बना रहता है। प्रेगनेंसी के शुरुआती दौर से ही गर्भ में शिशु के फेफड़े बनना शुरू हो जाते हैं और गर्भावस्था के तीसरी तिमाही तक भी ये फेफड़े पूरी तरीके से विकसित नहीं हो पाते हैं। फेफड़ों के बीच में जो छोटी-छोटी सी थैलियां जिन्हें की एलविओली(alveoli) कहा जाता है, इनका बनना प्रेगनेंसी के आठवें महीने तक भी जारी रहता है।
प्रेगनेंसी के 24 से लेकर 36 हफ्ते के बीच तक यह एलविओली बनना शुरू हो जाते हैं। जब तक यह एलविओली पूरी तरीके से नहीं बन जाती है, विकसित नहीं हो जाती है तो ऐसे में जन्म के बाद शिशु को सांस लेने में दिक्कत हो सकती है।
गर्भनाल के जरिए सांस लेना
यही वजह होती है कि गर्भ में शिशु सांस नहीं लेता है। अब गर्भ में शिशु को ऑक्सीजन कहां से मिलती है ताकि उसका विकास अच्छे से हो तो आपको बता दूँ दोस्तों कि जब तक शिशु गर्भ में होता है पूरे गर्भकाल के दौरान शिशु अम्बिलिकल कॉर्ड(umbilical cord) यानी गर्भनाल के जरिए ही सांस लेता है।
गर्भनाल प्रेगनेंसी के 5 से 6 सप्ताह विकसित हो जाती है जो की गर्भ में शिशु को ऑक्सीजन पहुंचाने का कार्य करती है यह जरूरी ऑक्सीजन युक्त रक्त की आपूर्ति करती है। गर्भनाल प्लेसेंटा से जुड़ी होती है जिसके जरिए गर्भ में शिशु को जरूरी पोषक तत्व मिलते हैं। गर्भनाल और अपरा में कई रक्त वाहिकाएं होती हैं और प्रेग्नेंसी के नौ महीनों के दौरान लगातार विकसित होती रहती हैं।
यानी कि गर्भावस्था के दौरान गर्भ में शिशु के लिए माँ ही सांस ले रही होती है और मां के खून में मौजूद ऑक्सीजन शिशु के रक्त में जाता है।
शिशु जन्म के बाद कैसे लेता है शिशु सांस
अब नौ महीने बाद जैसे ही शिशु का जन्म होता है तो शिशु हवा के संपर्क में आने पर और एम्नियोटिक द्रव(amniotic fluid) की कमी होने पर शिशु पहली बार नए वातावरण में खुद से सांस लेता है।
ऐसे में शिशु के जन्म लेने के 10 सेकेंड के अंदर बच्चा पहली बार नाक से सांस लेता है लेकिन बच्चे के छोटे और नाजुक फेफड़े में इस दौरान द्रव से भरे होते हैं जिस वजह इस दौरान हांफने की आवाज आती है।
पहली सांस लेने पर वह इस एम्नियोटिक द्रव को बाहर निकालने की कोशिश करता है जिससे कि उसके श्वसन तंत्र भी सक्रिय होने लगते हैं। बच्चे के फेफड़े और नाक को सांस लेने की पूरी प्रक्रिया नई होती है तो इस दौरान सांस लेने पर उन्हें छींक आना या फक फक की आवाज आना बहुत ज्यादा सामान्य होता है।
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