29 अक्टूबर चंद्र ग्रहण के समय प्रेगनेंसी में रखें ये सावधानियां | Chandra Grahan 2023 Date and Time In India

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29 अक्टूबर चंद्र ग्रहण

इसी वर्ष 14 अक्टूबर को सूर्य ग्रहण लगा था और अब 15 दिनों के अंदर दूसरा ग्रहण भी लगने जा रहा है।  साल का दूसरा और अंतिम ग्रहण होगा 29 अक्टूबर के दिन लगने वाला चंद्र ग्रहण(Chandra Grahan 2023 Date and India Time Tonight)। यह चंद्र ग्रहण शरद पूर्णिमा के दिन लगेगा। 15  दिन के अंदर 2 ग्रहण का लगने से इसका प्रभाव और भी ज्यादा बाद जाता है।  ऐसे में जब यह चंद्र ग्रहण भारत में भी लगने जा रहा है तो गर्भवती महिलाओं को अत्यंत सावधान हो जाना चाहिए।

चंद्र ग्रहण कब लगता है

जब पृथ्वी घुमते हुए सूर्य और चन्द्रमा के बीच में आ जाती है तो इससे सूर्य की रौशनी चन्द्रमा तक नहीं पहुँच पाती है। बल्कि पृथ्वी के बीच में होने की वजह से, पृथ्वी की छाया चन्द्रमा के ऊपर पड़ने से चंद्र ग्रहण होता है। ऐसे ही 29 अक्टूबर के दिन चंद्र ग्रहण आज लगेगा(29 October Chandra Grahan Date and Time)। यह ग्रहण भारत में भी लगेगा और इसीलिए इसका सूतक भी मान्य होगा। यह एक खंडग्रास चंद्र ग्रहण होगा और यह दो तिथियों यानी की 28 अक्टूबर और 29 अक्टूबर 2023 के बीच मध्यरात्रि को लगेगा

28 से 29 अक्टूबर के चंद्र ग्रहण का समय और सूतक काल

चंद्र ग्रहण का सूतक काल 28 अक्टूबर सांय 04  बजके 05  मिनट (04 :05  PM – 28 Oct 2023 )
चंद्र ग्रहण का विरल छाया प्रवेश 28 अक्टूबर रात्रि 11 बजके  32 मिनट (11 :32 PM – 28 Oct 2023 )
चंद्र ग्रहण का स्पर्श 29  अक्टूबर रात्रि 1 बजके  05 मिनट (01:05  AM  – 29 Oct 2023 )
चंद्र ग्रहण का मध्य 29  अक्टूबर रात्रि 1 बजके 44 मिनट (01:44  AM – 29 Oct 2023 )
चंद्र ग्रहण का मोक्ष 29  अक्टूबर मध्य रात्रि 2  बजके 23 मिनट (02 :23 AM  – 29 Oct 2023 )
चंद्र ग्रहण का समापन 29  अक्टूबर मध्य रात्रि 3 बजके 56  मिनट (03 :56 AM – 29 Oct 2023 )

ग्रहण समाप्ति पे सूतक काल भी समाप्त हो जायेगा

NOTE : यह समय भारतीय मानक समय यानी Indian Standard Time (IST) के अनुसार है। यदि आप भारत के अलावा किसी अन्य समय क्षेत्र में हैं, तो कृपया आईएसटी(IST) समय को अपने क्षेत्र के अनुसार परिवर्तित करें।

चंद्र ग्रहण का प्रेगनेंसी पर प्रभाव

सूर्य ग्रहण लगने के 15  दिन के भीतर लगने वाला यह 29 अक्टूबर का ग्रहण (Grahan 2023 Date and Time )गर्भवती महिलाओं के लिए बहुत ख़ास है। ग्रहण का प्रभाव मानव जीवन पे बहुत अधिक पड़ता है लेकिन गर्भवती की इस समय मनोदशा और गृह कमजोर होने के कारण, ग्रहण का असर प्रेग्नेंट महिलाओं पर ज्यादा देखा जाता है।

चंद्र ग्रहण के समय ग्रहण की किरणें वातावरण को दूषित कर देती है जिससे गर्भवती को बचना चाहिए। यह दूषित और हानिकारक किरणें गर्भ में पल रहे शिशु के लिए भी सही नहीं मानी जाती है। यह ग्रहण आध्यात्मिक, वैज्ञानिक और धार्मिक दृष्टि से बहुत ख़ास है। चंद्र ग्रहण के समय गर्भवती महिलाओं को विशेष सावधानी रखनी होती है ताकि गर्भ में पल रहे बच्चे पर ग्रहण दुष्प्रभाव न हो।    

29 अक्टूबर को प्रेग्नेंट महिला किन बातों का ध्यान रखे

सूतक काल की सावधानियां

चंद्र ग्रहण लगने से ठीक 9 घंटे पहले सूतक शुरू हो जायेगा।  सूतक काल से ही गर्भवती महिलाओं को सावधानी बरतनी शुरू कर देना है। सूतक काल से लेके चंद्र ग्रहण समाप्ति तक प्रेग्नेंट महिलाओं को घर के अंदर ही रहना है। पूजा पाठ नहीं कर सकते हैं , भगवान् की प्रतिमाओं को हाथ नहीं लगा सकते है। घर में यदि मंदिर है तो उसको सूतक काल से पहले ही बांध कर दें या एक साफ़ कपडे से ढक दें। कोई भी नया काम, शुभ कार्य शुरू नहीं कर सकते है। ऐसे करने से अशुभ फल मिलता है।

सूतक काल से पहले ही तोड़ लें तुलसी के पत्ते

तुलसी के पत्तों का ग्रहण में बहुत महत्व होता है। तुलसी के पत्ते बने हुए खाने में और जल में सूतक काल से पहले ही तोड़के डाल देनी चाहिए। सूतक काल के बाद तुलसी के पत्ते नहीं तोड़ सकते है ऐसे में पाप लगता है।  तुलसी के पत्तों को सूतक से पहले तोड़के , धोके , इनको आप फ्रिज में स्टोर कर लें ताकि इन मे नमी बनी रहे और यह फ्रेश रहे।

चंद्र ग्रहण में गर्भवती क्या करे और क्या नहीं

घर के अंदर रहना है : सूतक काल से ही प्रेग्नेंट महिला को घर के अंदर रहना है। एक ऐसे स्थान में रहे जहाँ तक चंद्र ग्रहण की हानिकारक  किरणें आप तक न पहुँच पाएं। खिड़की और दरवाजे बंद कर देने चाहिए और पर्दों को भी लगा लेना चाहिए।  अतिरिक्त सुरक्षा के लिए प्रेग्नेंट महिला अपने पेट पर तुलसी का या चन्दन का लेप लगाए।  आप कुशा घास और गोबर का लेप भी लगा सकते हैं।

सूतक काल और ग्रहण काल में प्रेग्नेंट महिला को बाहर नहीं जाना है।  यदि  किसी कारण से बाहर जाना पड़े तो अपने साथ कुछ तुलसी के पत्ते और नारियल लेके जाएँ। ऐसे करने से आपके ऊपर ग्रहण का प्रभाव काम होता है। वैसे कोशिश यहीं करें की आप ग्रहण काल में घर के अंदर ही रहे।

अपने पास एक नारियल रखना है: ग्रहण शुरू होने से पहले ही आपको अपने पास एक नारियल रखना है।  यह कैसा भी नारियल हो सकता है। जटा वाला , पानी वाला या सूखा नारियल। इसके अतिरिक्त आप अपने हाइट के बराबर एक काला धागा कहीं रूम में लटका दें।  यह दोनों में से कोई एक काम भी कर सकते है या दोनों जैसे आप चाहें। ऐसा करने से ग्रहण की हानिकारक किरणों का असर आपके गर्भ पे नहीं होता है।  नारियल और धागे को आप ग्रहण समाप्ति पे किसी चलते हुए साफ़ पानी में या नदी में डाल सकते है या फिर मिट्टी में गाड़ सकते हैं।

खाना पीना नहीं चाहिए: ग्रहण काल में कुछ भी खाना पीना नहीं चाहिए। ऐसा करना वर्जित माना गया है।  ग्रहण जब चल रहा हो तो शौचालय जाने  मनाई होती है। ग्रहण काल से पहले आपका खाना पीना कुछ इस तरीके का होना चाहिए की आपको न ग्रहण काल के दौरान भूख लगे, न प्यास लगे और न ही शौचालय जाने की नौबत आये। पानी नियमित पिए ताकि आपको पेशाब न आये।

ग्रहण काल के दौरान बच्चों, बुज़ुर्गों और बीमार , इनको खाने पीने की छूट होती है।  यदि आपकी प्रेगनेंसी सही नहीं चल रही है , तो आप बीमार की श्रेणी में आएंगे और आप ग्रहण काल के दौरान खा पी सकते हैं।  यदि आपकी प्रेगनेंसी स्वस्थ चल रही है तो आपको खाने पीने और शौचालय वाला नियम का पालन करना है।

किसी भी अवस्था में यदि ग्रहण काल में खाने पीने की आवश्यकता हो तो आप केवल वही चीज खा पी सकते हैं जिस मे ग्रहण काल से पूर्व तुलसी का पत्ता डाला गया हो।

पैनी या धारदार वास्तु को नहीं छूना है : ग्रहण काल में गर्भवती महिला को कोई भी नुकीली, पैनी या धारदार वास्तु को नहीं छूना चाहिए। यानी की ग्रहण काल में आपको चाक़ू, छुरी, कील, कैंची, सुई, पिन ऐसी चीजों से दूरी बना के रखनी है। ऐसी धारदार चीजों को ग्रहण काल में छूने से गर्भ में शिशु के अंग के कटने , फटने या जुड़ने का भय रहता है। आपने देखा होगा जन्म से ही कुछ बच्चों के अंग कटे हुए होते हैं , होंठ चिपके हुए होते हैं, या फिर उनकी उंगलियां या हाथ या पेर आपस में मिले हुए होते हैं। यह कुछ उदाहरण हैं की कटने , फटने या जुड़ने से क्या तात्पर्य है।

ग्रहण काल में पूजा नहीं करनी है : ग्रहण ने सूतक से ही भगवान् की पूजा अर्चना करने पे मनाई होती है। भगवान् की प्रतिमाओं को छूना भी वर्जित माना गया है। सूतक काल से पहले ही आपको मंदिर को बंद कर देना चाहिए।  मंदिर में दरवाजे न हो तो साफ़ कपडे से ढक सकते हैं। मंदिर को छूना नहीं है जब तक ग्रहण समाप्त न हो जाए।

ग्रहण काल में गर्भवती बिलकुल न सोये : ग्रहण काल में सोने पे मनाई होती है।  आप यदि थक गए हैं तो बैठ सकते है , बिस्तर पर लेट सकते हैं लेकिन आपको नींद नहीं लेकिन है। सोना ग्रहण काल में निषेध माना गया है।  यदि प्रेगनेंसी सही नहीं चल रही है , या बच्चे और बूढ़े इस समय इस नियम का पालन न करें।  उनके लिए पर छूट होती है।

मंत्र जाप कैसे करें: माना जाता है चंद्र ग्रहण के समय किया गया मंत्र जाप एक लाख गुना फलदायी होता है। चंद्र ग्रहण काल में आप यह जाप मंदिर बांध होने की अवस्था में कहीं भी साफ़ सुथरी जगह मैं बैठ के कर सकते हैं।  आप शिव चालीसा , गायत्री मंत्र, विष्णु जी का मंत्र, आदित्य हृदय स्तोत्र,  दुर्गा स्तुति और चन्द्रमा भगवान् जी के मंत्र का जाप करना अत्यंत प्रभावशाली होता है और शुभ फल देने वाला होता है।

बुरे विचारों से रहे दूर : मन में बुरे विचार लेके न आएं, किसी के बारे में गलत न सोचें, किसी भी बच्चे को मानसिक या शारीरिक कष्ट न दें।  ऐसे करने से स्वयं आपके गर्भ में पल रहे बच्चे के मस्तिष्क और शरीर में बुरा प्रभाव पड़ता है।

ग्रहण काल से पहले और बाद स्नान करें : ग्रहण काल से पहले और बाद में स्नान प्रेग्नेंट महिला को जरूर करना चाहिए। ग्रहण समाप्ति  पे स्नान कर वस्त्र बदल लें और अपने ऊपर गंगा जल का छिड़काव करें।  फिर घर के मंदिर पर भी गंगा जल छिड़कें।  इसके बाद सम्पूर्ण घर में गंगा जल का छिड़काव करें। ऐसा करने से घर दुबारा पवित्र हो जाता है और ग्रहण काल की हानिकारक किरणों का असर भी समाप्त हो जाता है।

29 अक्टूबर का चंद्र ग्रहण भारत में दिखाई देगा या नहीं

28 अक्टूबर से 29 अक्टूबर तक यह ग्रहण लगेगा और यह भारत में दिखाई देगा(29 October Chandra Grahan Visible in India )। इसी वजह से इसका सूतक भी मान्य होगा। 

यह चंद्र ग्रहण भारत के अलावा, हिंद महासागर, यूरोप, अफ्रीका, अंटार्टिका, दक्षिणी प्रशांत महासागर, दक्षिण-पूर्वी अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, संपूर्ण एशिया,  उत्तरी अमेरिका के उत्तर पूर्वी क्षेत्र में दिखाई देगा।

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Disclaimer : इस लेख में दी गयी जानकारी और गणना की विश्वसनीयता और सटीकता की गारंटी हमारी नहीं है। यह जानकारी हमने विभिन्न माध्यमों, ज्योतिषियों, पंचांग, मान्यताओं एवं धर्मग्रंथों से ली है  । हमारा उद्देश्य केवल सूचना पहुंचाना है इसका सही मूल्यांकन के लिए आप अपने धर्म गुरु या एस्ट्रोलॉजर से संपर्क करें। 

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