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प्रेगनेंसी के पहले महीने में शिशु का विकास | Baby development in 1st Month of Pregnancy

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गर्भ में शिशु का विकास (सप्ताह 1-4 )

दोस्तों जैसे ही महिला का अंडाणु शुक्राणु द्वारा निषेचित किया जाता है तो इस निषेचन की प्रक्रिया के दौरान अंडा विकसित होकर कई कोशिकाओं में विभजित हो जाता है, कोशिकाओं के इस संग्रह को युग्मनज कहा जाता है, चौथे से छठे दिन के बीच यह जाइगोट कई कोशिकाओं में विभाजित हो जाता है। इसके बाद ये कोशिकाएं इकट्ठा होकर गेंद जैसा आकार ले लेती हैं। इसे ‘ब्लास्टोसिस्ट’ कहते हैं और ये युग्मनज कुछ ही दिनों में फैलोपियन ट्यूब से गर्भ की और की और आने लगता है।  

शिशु का आकार और माप 

इस समय ये शिशु की बिलकुल शुरुवाती अवस्था होती है तो प्रेगनेंसी के इन 4 हफ़्तों में शिशु खसखस के बीज जितना होता है। चौथे सप्ताह के अंत तक भ्रूण का दिल एक मिनट में 65 बार धड़कने लगता है। और इस महीने के अंत तक शिशु का माप लगभग ¼ इंच से भी कम होता है। 

हालाँकि ये बहुत छोटा सा होता है लेकिन उसके अंगों और प्लेसेंटा का निर्माण होना शुरू हो जाता है और अब ये युग्मनज से भ्रूण (एम्ब्रोयो) कहलाता है और यही कोशिकाओं का गुच्छा आगे विकसित होकर शिशु के अंग और ऊत्तक बनते हैं। 

तो ऐसे में कोशिकाएं तीन परतों में विभाजित होने लगती हैं-

1. सबसे ऊपरी परत में, न्यूरल ट्यूब नामक एक खोखली संरचना जिसमे  शिशु का मस्तिष्क, रीढ़ की हड्डी, मेरु-रज्जु और नसें विकसित होंगी और शिशु की त्वचा, बाल और नाखून भी इसी परत से विकसित होंगे।

2. मध्य परत में शिशु का शिशु का दिल और रक्त संचरण तंत्र अस्थि-पंजर (हड्डियां) और मांसपेशियां विकसित होने लगेंगी और 

3. तीसरी परत में आंतों, फेफड़ों और मूत्रीय प्रणाली के विकास की शुरुआत होगी।

इस भ्रूण के चारों तरफ एमनियोटिक की एक थैली होती है, जो तरल से भरी होती है।इस तरल का पदार्थ का होना शिशु के पालन के लिए बहुत ज़रूरी होता है|  ये पूरी गर्भवस्था में गर्भस्थ शिशु का बचाव करती है।


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